पूर्ण सुसमाचार की पहचान: खंडित विश्वास से मसीह के ठोस आधार की ओर एक यात्रा
पूर्ण सुसमाचार की पहचान: खंडित विश्वास से मसीह के ठोस आधार की ओर एक यात्रा
सारांश (Abstract)
आज के समय में, जब मसीही विश्वास को सरलीकृत और बाजारू रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, यह अत्यंत आवश्यक हो गया है कि हम पूर्ण सुसमाचार को फिर से खोजें और समझें—केवल एक विश्वास व्यवस्था के रूप में नहीं, बल्कि जीवन को बदलने वाला संदेश जो प्रेरितों की शिक्षाओं में निहित है। यह लेख मेरे व्यक्तिगत अनुभवों और Jeff Reed द्वारा लिखित First Principles
Series के Becoming a Disciple पुस्तक पर आधारित है,
जो यह दिखाता है कि क्यों सुसमाचार को पूरी स्पष्टता के साथ जानना और जीना हर मसीही के लिए अनिवार्य है।
परिचय: परंपरा से परिवर्तन की ओर
मेरा जन्म एक पारंपरिक मसीही परिवार में हुआ था, जिसकी जड़ें एंग्लिकन परंपराओं में थीं। हम चर्च की विधियों का पालन faithfully करते थे, लेकिन हम मसीह को व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते थे, और न ही उनके जीवन का अनुकरण करना हमारे लिए कोई गंभीर बात थी।
1982 में, मेरे माता-पिता को येशु मसीह में उद्धार का अनुभव हुआ और वे एक पेन्टेकोस्टल कलीसिया में जाने लगे। उस नए माहौल में आत्मा के कार्य पर बल दिया गया, परंतु मेरे जीवन में अब भी कुछ अधूरा था।
मैं एक छोटा बच्चा था और मुझे कभी किसी पास्टर या अगुवे ने व्यक्तिगत रूप से पूरा सुसमाचार नहीं बताया। मेरे माता-पिता ने जो कुछ नया सीखा, वही खंडित रूप में मुझे सिखाया। मैं एक टुकड़ों में मिले सुसमाचार पर बड़ा हुआ, और मेरी आत्मिक नींव वैसी नहीं बन पाई जैसी मसीह और उनके प्रेरितों की शिक्षा के अनुरूप होनी चाहिए थी।
शिष्य बनने की नींव: सुसमाचार का पूरा स्वरूप
Jeff Reed अपनी पुस्तक Becoming a Disciple
में कहते हैं, “सुसमाचार को अपनाना शिष्य बनने की पहली सीढ़ी है।” वह स्पष्ट करते हैं कि प्रारंभिक कलीसिया जिसे kerygma कहती थी—यानी कि मसीह के जीवन,
मृत्यु, पुनरुत्थान और प्रभुत्व की घोषणा—वही सच्चा सुसमाचार है।
प्रेरितों के काम 10:34–48 में, पतरस द्वारा कोर्नेलियुस के घर में दी गई पहली गैर-यहूदी सुसमाचार प्रस्तुति इस kerygma का एक आदर्श उदाहरण है। यह सुसमाचार खंडित या अधूरा नहीं था,
बल्कि पूरा और जीवन-परिवर्तनकारी था। प्रारंभिक कलीसिया में, बपतिस्मा लेने और कलीसिया में सम्मिलित होने से पहले हर किसी को इस संदेश को समझना आवश्यक था।
खंडित सुसमाचार का संकट: मेरी कहानी
जब सुसमाचार को खंडित रूप में प्रस्तुत किया जाता है—उद्धार के एक पक्ष को ज़ोर देकर और बाकी को अनदेखा कर—तो इससे सतही विश्वास और असंतुलित जीवनशैली विकसित होती है।
मेरे जीवन में यही हुआ। मैं परमेश्वर के प्रेम को जानता था, आत्मा की सामर्थ्य को देखता था, लेकिन येशु को प्रभु और न्यायी के रूप में पहचानने की मेरी समझ अधूरी थी।
मुझे बपतिस्मा, कलीसिया, और पवित्रता के मसीही जीवन की गहराई का कोई ठोस आधार नहीं मिला।
लेकिन जब मैंने प्रेरितों द्वारा प्रचारित पूर्ण सुसमाचार—जैसा कि C.H.
Dodd और Michael Green ने वर्णित किया है—को समझा, तब जाकर मुझे एहसास हुआ कि मेरा विश्वास केवल अनुभवों पर नहीं, मसीह के ऐतिहासिक और आध्यात्मिक सत्य पर आधारित होना चाहिए:
“मसीह आया, मरा, गाड़ा गया, तीसरे दिन जी उठा, परमेश्वर की दाहिनी ओर बैठा है, और फिर आएगा न्याय करने।”
प्रेरितों का नमूना: प्रेरितों के काम 10 और उसके आगे
पतरस ने कोर्नेलियुस के घर जो सुसमाचार सुनाया, उसमें ये मुख्य बातें थीं:
- येशु का सेवा और चंगाई से भरा जीवन
- उसकी मृत्यु और पुनरुत्थान
- प्रेरितों की गवाही
- प्रचार का आदेश
- येशु का न्यायी और प्रभु होना
- पापों की क्षमा का वादा
- पवित्र आत्मा की प्राप्ति
- बपतिस्मा द्वारा कलीसिया में सम्मिलन
यह सुसमाचार किसी भावना पर आधारित नहीं, बल्कि जीवन-परिवर्तन की माँग करने वाला सत्य है।
आज के लिए सुसमाचार क्यों महत्वपूर्ण है?
आज, सुसमाचार को एक आसान ‘चार चरणों’ की प्रक्रिया बना दिया गया है। "प्रार्थना करो और स्वर्ग में जाओ" जैसी सोच से लोगों को सच्चे पश्चाताप, प्रभुता, और शिष्यता की ओर नहीं लाया जा सकता।
Jeff Reed लिखते हैं, "आज के समय में सुसमाचार को उस रूप में नहीं प्रस्तुत किया जा रहा है जैसा प्रारंभिक कलीसिया ने किया।" हम सुसमाचार को 'बिक्री योग्य उत्पाद' की तरह पेश कर रहे हैं। परंतु सुसमाचार कोई उत्पाद नहीं, यह एक ऐतिहासिक घोषणा है जिसे पूरी स्पष्टता और सामर्थ्य से प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
खंडितता से पूर्णता की ओर: मेरी यात्रा का नया अध्याय
पूर्ण सुसमाचार को समझने के बाद मेरा आत्मिक जीवन पूरी तरह से पुनर्निर्मित हुआ। अब मेरा विश्वास:
- येशु को केवल उद्धारकर्ता नहीं,
राजा और न्यायी के रूप में देखता है
- कलीसिया को जीवन का अनिवार्य हिस्सा मानता है
- शिष्यता को जीवन की सामान्य बुलाहट समझता है
- बपतिस्मा और आत्मिक जीवन को मसीही जीवन की नींव मानता है
मेरे जैसे बहुत से लोग हैं जिन्हें आज भी खंडित सुसमाचार ही मिलता है। उन्हें कोर्नेलियुस की तरह एक पूर्ण, स्पष्ट, और आत्मिक दृष्टिकोण से युक्त सुसमाचार सुनने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष: सुसमाचार को पूरी सच्चाई के साथ जानना और प्रचार करना
कलीसिया को आज पुनः प्रेरितों के उस रूप में लौटने की आवश्यकता है जिसमें सुसमाचार को:
- शास्त्र के आधार पर,
- मसीह के केंद्र में रखते हुए,
- पश्चाताप और विश्वास की माँग करते हुए,
- और शिष्यता और कलीसिया में सहभागिता तक ले जाते हुए प्रस्तुत किया जाता था।
पूर्ण सुसमाचार केवल अच्छी खबर नहीं है—यह वह एकमात्र सच्चाई है जो वास्तव में जीवनों को बदल सकती है,
उन्हें स्थापित कर सकती है, और उन्हें संसार में भेज सकती है।
ग्रंथसूची (Bibliography)
- Jeff
Reed, Becoming a Disciple (First Principles Series, Book 1), BILD
International
- C.H.
Dodd, The Apostolic Preaching and Its Developments
- Michael
Green, Evangelism Now and Then
- बाइबिल,
प्रेरितों के काम 10:1–11:18, 1 कुरिन्थियों 15:1–5,
रोमियों 1:1–4
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