अनन्य भक्ति की कीमत: अननियास और सफ़ीरा का पाप, न्याय और कलीसिया पर प्रभाव
अनन्य भक्ति की कीमत: अननियास और सफ़ीरा का पाप, न्याय और कलीसिया पर प्रभाव
प्रेरितों के काम 5:1–11
ऐतिहासिक और बाइबल आधारित पृष्ठभूमि
यह घटना उस समय की है जब यरूशलेम में प्रारंभिक कलीसिया का गठन हो रहा था, और पिन्तेकुस्त के दिन के बाद विश्वासियों में अद्भुत एकता और आत्मिक जोश था (प्रेरितों 2)। वे अपनी संपत्ति और धन एक-दूसरे की भलाई के लिए बाँट रहे थे (प्रेरितों 4:32–35)। यह कोई मजबूरी नहीं, बल्कि आत्मा प्रेरित प्रेम और बलिदान का फल था। बरनबास इसका आदर्श उदाहरण थे (प्रेरितों 4:36–37)।
इसी पृष्ठभूमि में अननियास और उसकी पत्नी सफ़ीरा ने भी अपनी ज़मीन बेची, परंतु वे मूल्य का एक भाग छिपाकर यह दिखावा करने लगे कि उन्होंने सब कुछ दे दिया है (प्रेरितों 5:1–2)। उनका पाप केवल धन छिपाने का नहीं, बल्कि परमेश्वर से छल और पाखंड का था।
उनका पाप क्या था?
- जानबूझकर धोखा देना: उन्होंने प्रेरितों और पवित्र आत्मा से झूठ बोला (प्रेरितों 5:3–4)। ज़मीन उनकी थी, दान देना बाध्यता नहीं थी, पर उन्होंने दिखावा किया कि वे सब कुछ दे रहे हैं।
- आत्मिक पाखंड: वे आत्मिक प्रतिष्ठा पाने के लिए झूठ का सहारा ले रहे थे—दिखावा बिना सच्चे बलिदान के।
- परमेश्वर की आत्मा को आज़माना: पतरस ने सफ़ीरा से कहा, "तुम दोनों ने प्रभु की आत्मा को क्यों परखा?" (प्रेरितों 5:9)—यह परमेश्वर की उपस्थिति के प्रति घोर असंवेदनशीलता थी।
पतरस ने इतना कठोर न्याय क्यों किया?
यह न्याय केवल पतरस द्वारा नहीं, बल्कि सीधे परमेश्वर द्वारा था। जैसे ही पतरस ने पाप उजागर किया, अननियास और फिर सफ़ीरा की तत्काल मृत्यु हो गई (प्रेरितों 5:5,10)। यह निर्णय कुछ कठोर लग सकता है, लेकिन ध्यान दें:
- कलीसिया का प्रारंभिक चरण: जैसे पुराने नियम में आकान का पाप (यहोशू 7) पूरे समुदाय को संकट में डाल देता है, वैसे ही यह छल प्रारंभिक कलीसिया की शुद्धता को खतरे में डाल रहा था।
- परमेश्वर की पवित्रता: कलीसिया पवित्र आत्मा का निवासस्थान बन रही थी (प्रेरितों 2:4; इफिसियों 2:22), और वहाँ कोई भी पाप हल्के में नहीं लिया गया।
- प्रेरितिक अधिकार की पुष्टि: पतरस का आत्मा से प्रेरित उजागर करना यह दर्शाता है कि कलीसिया में सत्य और पवित्रता सर्वोपरि हैं।
कलीसिया पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?
- भय और आदर फैला: “इस घटना से सारी कलीसिया और सब सुनने वालों में बड़ा भय उत्पन्न हुआ” (प्रेरितों 5:11)। परमेश्वर की पवित्रता के प्रति गंभीरता उत्पन्न हुई।
- शुद्धता से शक्ति मिली: इसके बाद और भी चमत्कार और आत्मिक सामर्थ्य प्रकट हुई (प्रेरितों 5:12), और विश्वासियों की संख्या बढ़ती गई (प्रेरितों 5:14)।
- बाहरी लोगों में आदर: लोग कलीसिया का सम्मान करने लगे, परंतु डर के कारण बिना मन की सच्चाई के उसमें सम्मिलित होने से हिचकते थे (प्रेरितों 5:13)। इससे कलीसिया की गवाही और प्रतिष्ठा और मजबूत हुई।
निष्कर्ष
अननियास और सफ़ीरा का पाप केवल धन छिपाना नहीं था, बल्कि आत्मिक धोखे और परमेश्वर के सामने पाखंड का था। पतरस के द्वारा परमेश्वर ने कलीसिया में आरंभ से ही यह स्पष्ट कर दिया कि वह शुद्धता, सत्यता और पवित्रता को हल्के में नहीं लेता। यह घटना आज भी हमें स्मरण कराती है कि हमारी आंतरिक सच्चाई ही हमारे आत्मिक जीवन की नींव है। इस गंभीर न्याय के द्वारा कलीसिया की पवित्रता बनी रही और उसका प्रभाव और विस्तार बढ़ता गया।
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